रायपुर. न्यूज़अप इंडिया
छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाला मामले में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन के अफसरों को अंतरिम संरक्षण देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अगले आदेश तक ईडी अपनी जांच आगे न बढ़ाए। साथ ही अफसरों पर कोई कठोर कार्रवाई भी ना किया जाये।
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में अब तक पूर्व आबकारी अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, होटल कारोबारी अनवर ढेबर, लिकर कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन और नितेश पुरोहित को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया था। ईडी ने दावा किया था कि विशेष सचिव ने आबकारी नीति में बदलाव किया था, जिसकी वजह से दो हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय पर आरोप लगाया था कि केंद्रीय जांच एजेंसी राज्य के अफसरों को परेशान और प्रताड़ित कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने ईडी की जांच पर रोक का फैसला दिया है।
*शराब घोटाले पर प्रदेश की सियासत गर्म*
कथित शराब घोटाला उजागर होने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल आ गया था। भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेता भूपेश बघेल सरकार पर लगातार हमला बोल रहे थे। प्रवर्तन निदेशालय ने शराब घोटाले पर 4 जुलाई को 5 आरोपियों के खिलाफ रायपुर कोर्ट में न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत की अदालत में करीब 16 हजार पन्नों का चार्जशीट पेश किया था। ईडी का दावा है कि साल 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में बड़ा शराब घोटाला हुआ है, जिसमें 2 हजार करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं। इधर इस कथित शराब घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार केंद्रीय एजेंसियों और मोदी सरकार पर हमला बोलते रहे हैं।