RAIPUR. न्यूजअप इंडिया.कॉम
बिलासपुर जिले के अरपा भैंसाझार परियोजना के तहत नहर निर्माण के लिए भू अर्जन में अनियमितता कर राज्य शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले डिप्टी कलेक्टर वर्तमान में बिलासपुर आरटीओ आनंद रूप तिवारी को राज्य शासन ने सस्पेंड कर दिया है। मुआवजा प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) को सौंपी गई है। अरपा भैंसाझार परियोजना में 4 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की गई है। भू अर्जन के समय कोटा में आनंदरूप तिवारी SDM के पद पर पदस्थ थे। यह कार्रवाई भू – अर्जन में अनियमितता और अरपा-भैंसाझार नहर निर्माण में गड़बड़ी को लेकर की गई है।
बता दें कि बिलासपुर के अरपा भैंसाझार नहर वितरक लाइन में भू अर्जन की कार्यवाही में अनियमितता की गई। जमीनों का कई टुकड़ों में बटांकन किया गया। विशेष लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नहर का एलाइमेंट बदल दिया गया। मामले में तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार ने जांच करवा राजस्व एवं सिंचाई विभाग के दोषी अफसर के खिलाफ कार्यवाही के लिए प्रस्ताव भेजा था। 1 साल से भी अधिक समय तक के कोई कार्यवाही नहीं हुई। अरपा भैंसाझार परियोजना में एक ही खसरे का अलग-अलग रकबा दिखाकर मुआवजा बांटने में करीब 4 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की गई। मामला उजागर हुआ और जांच की गई, तब 10 से अधिकारियों को मामले में दोषी माना गया था, लेकिन सिर्फ एक राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को बर्खास्त करने के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
फर्जी मुआवजा प्रकरण बनाए और खाए
करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंदरूप तिवारी ने पटवारी मुकेश साहू को जरिया बनाया। पटवारी से आरआई के पद पर मुकेश की पदोन्नति के बाद एसडीएम ने रिलीव करने का आदेश जारी कर दिया था। रिलीव करने के बाद भी मुकेश से पटवारी का काम लेते रहे और फर्जी मुआवजा प्रकरण बनवाते रहे।
RI बनने के बाद भी पटवारी का काम
29 जून को कोटा के एसडीएम आनंद रूप तिवारी ने मुकेश साहू को सकरी के पटवारी पद से भारमुक्त करने का आदेश पारित किया। एसडीएम के आदेश का पालन करते हुए तहसीलदार ने उसी दिन कार्यमुक्त कर दिया और उसकी सेवा पुस्तिका में भी इसे दर्ज कर दिया। इसके बाद भी बतौर पटवारी वे काम करते रहे और फर्जी मुआवजा प्रकरण बनाते रहा है।
1141.90 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट
अरपा भैंसाझार परियोजना के लिए शुरुआत में 606 करोड़ का बजट रखा गया था। विलंब और अन्य कारणों के चलते निर्माण लागत बढ़ती गई। वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में बढ़ोतरी करते हुए इसके लिए 1141.90 करोड़ कर दिया है। परियोजना के तहत 370.55 किलोमीटर नहर निर्माण होना है, लेकिन वर्तमान में 229.46 किलोमीटर ही नहर बन पाया है।