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Saturday, September 7, 2024

…तो छतीसगढ़ में इस वजह से हारी कांग्रेस, समीक्षा में निकला निचोड़, आप भी समझें पूरा सियासी गणित

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपनी हार की समीक्षा कर रही है। मंथन और मंत्रणा का दौर जारी है। समीक्षा बैठक में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कहा, हार की वजह छत्तीसगढ़ियावाद भी है। प्रदेश में बड़ी आबादी दूसरे प्रदेशों से आकर रहती है। ऐसे में उन्हें डर लग गया था कि अगर कांग्रेस सरकार वापस आई तो उनके साथ पक्षपात होगा। इस वजह से शहरी सीटों पर हमें करारी हार झेलनी पड़ी। संगठन के कुछ नेताओं ने कहा कार्यकर्ताओं में बहुत नाराजगी थी। पांच साल उनकी सुनवाई नहीं हुई। अत्याधिक ग्रामीण फोकस, पार्टी में लंबे समय से चल रही अंदरूनी कलह और भाजपा की सांप्रदायिक लामबंदी और गुटबाजी भी हावी रही। अधिकारी मंत्रियों तक की नहीं सुनते थे। यही वजह से मंत्री भी हार गए।

दरअसल, नई दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सांसद राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के नेताओं के साथ हार पर मंत्रणा की। इस समीक्षा बैठक में सभी नेताओं से राय ली गई। सूत्रों के मुताबिक बैठक में छत्तीसगढ़ में मजबूत स्थिति में होने के बाद भी कांग्रेस क्यों हार गई। मंत्रियों के हार की वजह क्या रही, अधिकांश विधायक क्यों हारे, डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू आखिर क्यों चुनाव हारे। भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का घोषणा पत्र भी काफी बेहतर था। छत्तीसगढ़ में उम्मीद के विपरीत परिणाम आए हैं। कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी थी। उनके महतारी वंदन योजना के फार्म ने महिलाओं को एकतरफा कर दिया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, हमें इससे सबक लेना चाहिए और लोकसभा में एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए। लोकसभा की एक-एक सीट पर काम करना होगा।

‘सत्ता-संगठन में बेहतर तालमेल नहीं बना पाए’
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने राज्य कांग्रेस प्रमुखों को पार्टी के प्रदर्शन पर बूथवार रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा, हम लोगों के साथ अपना जुड़ाव मजबूत करेंगे और भाजपा सरकार को हटाने के लिए आगामी लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ेंगे। एआईसीसी की छत्तीसगढ़ प्रभारी महासचिव कुमारी शैलजा ने कहा कि वे निराश हैं, लेकिन हतोत्साहित नहीं हैं। बैठक में यह बात भी सामने आई कि बीजेपी ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, लोगों में गुस्सा भरा। संगठन और सत्ता का तालमेल बेहतर नहीं हो पाया। इसकी कमी शुरू से देखने को मिली, लेकिन सुधार नहीं कर पाए। शहरी क्षेत्रों में सरकार को लेकर नाराजगी अधिक थी। इसे हम समय रहते खत्म नहीं कर पाए। वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा की गई, उनकी सुनवाई कहीं नहीं होती थी। इससे कार्यकर्ताओं में आक्रोश बढ़ता गया।

‘छत्तीसगढ़ के चुनावी परिणाम ने सभी को चौकाया’
बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के परिणाम ने सबको चौका दिया है। एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनना बताया गया था, लेकिन परिणाम विपरीत आए हैं। कांग्रेस दो तिहाई सीटों पर हारी है। बीजेपी को 54 और कांग्रेस को 35 सीटें मिली हैं। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 1 सीट पर जीत हासिल की है। सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को सरगुजा संभाग में लगा। बस्तर संभाग में 8 और रायपुर जिले में सभी सीटें में हार का सामना करना पड़ा। दुर्ग जिले की छह सीटों में सिर्फ भूपेश बघेल अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बेमेतरा जिले की साजा, बेमेतरा और नवागढ़ सीट पर एकतरफा हार मिली, जबकि बालोद जिले की तीनों सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है।

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