रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली है। विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री का चयन भी कर लिया गया है और 13 दिसंबर को विष्णुदेव साय सीएम पद की शपथ लेंगे। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा। चर्चा इसलिए भी है, क्योंकि इस बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत सहित कुछ मंत्रियों को छोड़कर सभी दिग्गज नेता चुनाव हार गए हैं। छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष का चयन करने कांग्रेस के विधायक दल की बैठक बुधवार को दोपहर 3 बजे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राजीव भवन में होगी। बीजेपी द्वारा आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद चर्चा है कि कांग्रेस ओबीसी वर्ग से नेता प्रतिपक्ष चुनेगी।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और सांसद सप्तगिरीशंकर उल्का 13 दिसंबर को सुबह रायपुर आएंगे। दोपहर 3 बजे कांग्रेस के विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें नेता प्रतिपक्ष के नाम का चयन किया जाएगा। इस बार नेता प्रतिपक्ष कौन होगा इसे लेकर सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है। 2023 के विधानसभा चुनाव में पीसीसी चीफ दीपक बैज समेत भूपेश कैबिनेट में शामिल रहे 9 मंत्री भी अपनी सीट नहीं बचा पाएं। ऐसे में पार्टी अब किसे सदन में विपक्षी दल के नेता की कमान किसे सौपेंगी यह देखना दिलचस्प होगा? वहीं सूत्र बता रहे हैं कि इस बार नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी ओबीसी वर्ग के किसी नेता को मिल सकती है।
कांग्रेस के 35 विधायक, 14 पहली बार जीते
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी के भीतर नेता प्रतिपक्ष के लिए जिन नामों की चर्चा चल रही है, उनमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और सक्ती विधायक डॉ. चरणदास महंत, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री और खरसिया विधायक उमेश पटेल, भिलाईनगर विधायक देवेंद्र यादव, दलेश्वर साहू और भोलाराम साहू का नाम शामिल है। अगर नेता प्रतिपक्ष की कमान महिला को सौंपा गया तो अनिला भेड़िया भी पहली पसंद हो सकती है। कांग्रेस के 35 विधायकों में 14 पहली बार सदन पहुंचे है। ऐसे में कांग्रेस के पास विकल्प नहीं है। खुद पूर्व सीएम और पाटन विधायक भूपेश बघेल इसकी अगुवाई करें इसकी संभावना बहुत कम ही है। अगर बड़े नेता इस पद पर दिलचस्पी नहीं दिखाते तो संभव है कि किसी दूसरी बार चुनाव जीतकर आए विधायक को ही पद पर बिठाया जा सकता है।
दीपक बैज रहेंगे या पीसीसी अध्यक्ष कौन होगा?
छत्तीसगढ़ कांग्रेस को इस बात का झटका लगा है कि उनके पीसीसी चीफ दीपक बैज चित्रकोट से चुनाव हार गए है। बैज से पहले प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाने वाले मोहन मरकाम भी कोंडागांव से अपनी सीट नहीं बचा पाएं। ऐसे में अब सवाल उठता है कि पार्टी किसे कांग्रेस की कमान सौंपेगी? दीपक बैज रहेंगे या हार की नैतिक जिम्मेदारी लेकर हट जाएंगे। पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की चुनौती है, बल्कि भाजपा की तरह जातिगत समीकरण को साधने का भी दबाव है। भाजपा ने इस बार प्रदेश की कमान आदिवासी नेता को सौंपी है। ऐसे में अब कांग्रेस के पास भी मौका होगा की एक बार फिर से आदिवासी चेहरे को सामने कर उन्हें पार्टी को नए सिरे से संवारने की जिम्मेदारी सौंपी जाए।